किनारों की जरुरत नहीं है मुझको ,
लहरों से हमको वफ़ा चाहिये।
ख़ुशी की तो कोई तमन्ना नहीं अब,
ग़मों में ही हमको मजा चाहिए।
मिलेगा कोई इस गैरे महफ़िल में ,
इसकी तो कोई आरजू ही नहीं,
था कोई अपना कभी साथ अपने ,
हमें तो उसके निशाँ चाहिए।
किनारों की जरुरत नहीं है मुझको ,
लहरों से हमको वफ़ा चाहिये।
"aman mishra"
लहरों से हमको वफ़ा चाहिये।
ख़ुशी की तो कोई तमन्ना नहीं अब,
ग़मों में ही हमको मजा चाहिए।
मिलेगा कोई इस गैरे महफ़िल में ,
इसकी तो कोई आरजू ही नहीं,
था कोई अपना कभी साथ अपने ,
हमें तो उसके निशाँ चाहिए।
किनारों की जरुरत नहीं है मुझको ,
लहरों से हमको वफ़ा चाहिये।
"aman mishra"
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