करी ऐसी मोहब्बत कुछ ,
जवानी लुटा डाली।
मिले कैसे वफ़ा हमको ,
कि हस्ती ही मिटा डाली।।
सुना है मोहब्बत से ,
ये पत्थर भी पिघलते है।
न पिघले वो अड़े ऐसे,
की बस्ती ही जला डाली।।
मिला गैरो सा वो मुझको ,
हमें इतना बता डाला।
किसी के नाम की उसने ,
ये मेहंदी लगा डाली।।
करूँ कैसे शिकायत मै ,
मोहब्बत है वो मेरी।
करोड़ों की मोहब्बत अमन ,
सीने में छुपा डाली।।
इंजी. अमन मिश्र
जवानी लुटा डाली।
मिले कैसे वफ़ा हमको ,
कि हस्ती ही मिटा डाली।।
सुना है मोहब्बत से ,
ये पत्थर भी पिघलते है।
न पिघले वो अड़े ऐसे,
की बस्ती ही जला डाली।।
मिला गैरो सा वो मुझको ,
हमें इतना बता डाला।
किसी के नाम की उसने ,
ये मेहंदी लगा डाली।।
करूँ कैसे शिकायत मै ,
मोहब्बत है वो मेरी।
करोड़ों की मोहब्बत अमन ,
सीने में छुपा डाली।।
इंजी. अमन मिश्र
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