पहल कर
तू पहल कर
रुक मत , चल दे
सुन मत ,चल दे
मुस्कुरा तू , खिलखिला तू।
हर एक को गले लगाने की
तू पहल कर।
पहल कर।
तू पहल कर
रुक मत , चल दे
सुन मत ,चल दे
मुस्कुरा तू , खिलखिला तू।
हर एक को गले लगाने की
तू पहल कर।
पहल कर।
प्रेमबिंदु यानि प्रेम का केंद्र बिंदु. ये ब्लॉग मेरे द्वारा कल्पित रचनाओ का नहीं अपितु मेरे ही जीवन के पलों का लिखित रूप है. प्रेमबिंदु उर्जा का एक असीम केंद्र है , और मेरे द्वारा प्रेम को समझने और उसे आपतक पहुचाने का एक माध्यम है.
रातों रात पेड़ काट दिए, जंगल जला दिए। हम सोए रहे, नदिया सूखा दिए। वो चिड़िया अब रोती है, घोसले गवा दिए, कुछ आंखो में पानी लाओ, जो बोतल...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें