शुक्रवार, 23 अगस्त 2013

बापू आखिर ये देश है तुम्हारा ..

बापू जो तुम देख लेते इस देश का हाल ,
शायद रो पड़ते .
चल देते अपनी लाठी के सहारे ,
कही एकांत में.

जहा न हो इस देश की ऐसी दुर्दशा .
लेकर जो सपना आँखों में निकले थे दांडी की तरफ ,
देखते उन्हें टूटते हुए.

देखते अपने ही लोगो को गैरों की तरह रहते हुए.
बढ़ाते हुए विषमता के पेड़ को ,
जिसे तुम चाहते थे सुखाना .

बापू इस देश में अब तुम फिर से न आना .

पर हमें पता है तुम फिर से आओगे ही ,
 बन चुके इतिहास को दोहराओगे ही .

फिर से उखाड़ फेखोगे इन समाज की रुढियो को,
 फिर से करोगे कुछ ऐसा की हमें मिलेगी
एक नयी आशा ...
मुझे पाता है तुम फिर आओगे ,

आखिर ये देश है तुम्हारा ..
 आखिर ये देश है तुम्हारा ..  "aman mishra"

बुधवार, 7 अगस्त 2013

वो भी कहीं सिसकती होगी .

तड़पता है  मेरा दिल उसके खातिर ,
वो भी कहीं  सिसकती  होगी .

सिमटता  हूँ मै जैसे वो मेरी बाँहों में हो  ,
वो भी यू   ही सिमटती  होगी।

छू  कर  आती है हवा जैसे  उसको ,
मेरी सांसो  में आने से पहले।।
वो  भी अहसास से  इस,
 यु  ही गुजरती होगी।

देखता  हु उसको मै जब भी बंद होती है मेरी आँखें ,
वो भी मेरे अक्श  को यु ही तरसती होगी।

      "aman mishra"
वो भी कहीं  सिसकती  होगी .

रातों रात पेड़ काट दिए, जंगल जला दिए। हम सोए रहे, नदिया सूखा दिए। वो चिड़िया अब रोती है, घोसले गवा दिए, कुछ आंखो में पानी लाओ, जो बोतल...