रविवार, 21 अप्रैल 2013

बलात्कार :दोषी सिर्फ बलात्कारी ? या कोई और भी ..

बलात्कार :दोषी  सिर्फ बलात्कारी ? या कोई और भी ..  ज्यादा टाइम न लूँगा आपका , क्यों  की वैसे भी फ़ास्ट जमाना है .. खाना भी २ मिनट में बनाना चाहिए तो पूरा लेख तो सभी पड़ने से रहे , फिर भी कुछ बातो को  सामने रखना चाहूँगा .... जहा देखो आज कल बलात्कारियो को ये सजा दे दो वो सजा दे दो ,न जाने क्या क्या कितनी टाइप की सजा दे दो ,की आवाज आ रही है , ये वही है जिन्हें फिल्म में जब हीरो विलन को मरता है तब जैसी  मजा आती है , यहाँ भी वो बस मजा ढूंड रहे है ... आखिर सजा देने से बात सुधरती होती तो , अभी के हालिया महीनो में कई जगह ऐसे दोषियों को बहुत कड़ी सजाये दी गयी है , पर मै इस बहस में नहीं पड़ना चाहूँगा ... अह तो आता हु असल मुद्दे पे ...

आखिर ऐसा होता क्यों है , ध्यान देने की जरुरत है जड़ तक जाने की जरुरत है ....
कुछ बिन्दुओ की और ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा ...

१. बलात्कार के दोषियों में शायद ही कोई १०-१२ साल का हो.. सभी की उम्र १६ या उससे उपर ही सुनी मैंने , हो सकता है की अपवाद हो ..
ध्यान देने वाली बात है की इस उम्र में व्यक्ति प्राकतिक तौर पे परिवर्तन से गुजरता है और अति संवेदनशील होता है .. फैसले जल्दबाजी में लिए जाते है , कई बार अदालतों ने भी इस तत्थ्य पे सभी का ध्यान आकर्षित किया है .. ये भी एक कारन हो सकता है इस प्रकार की घटनाओ के लिए ..

२. जब हम दिन रात टीवी पे ,मीडिया पे बस ऐसे ही विज्ञापन देखते रहते है ,की ये करो तो लड़की मिलेगी वो करो तो लड़की मिलेगी ...  सीमेंट की मजबूती भी लड़की दिखाती है , नौकरी ,और छोकरी तभी मिलेगी जब बत्तीसी जक्कास होगी .. अभी न्यूज़ चैनल देख रहा था , गुडिया को बचाना है .. विज्ञापन में एक लड़की आ कर बताती है की बोयस को नहीं पता की हमें क्या पसंद है , फला  तेल लगाओ , ये मर्दों के लिए  वगैरह  वगैरह .. जब नारी  को भोग  की सामग्री दिखाया जायेगा तो लोगो के मन में क्या प्रभाव पड़ेगा सोचने वाली बात है ...

३.. एक बात और सोचने वाली है की सुरुवात से ही हम बन्धनों में रहते है , जब व्यक्ति नशे में होता है तो वो इसे तोड़ने का प्रयास करता है और कई बार परिणाम बहुत बुरा हो जाता है ..

४.. बलात्कार की कई घटनाये  हमें ऐसे पता चलती है की फला ने आरोप लगाया की मेरे साथ बलात्कार हुआ... कई बार ऐसी बाते आपसी सहमति से होती है पर पकड़ में आने पर बलात्कार का आरोप लगाया जाता है.. माननीय सर्वोच्य न्यायलय भी इस बात पे चिंता जाहिर कर चुका है ...
५. बलात्कारी भी हमारे आपके बीच का व्यक्ति है , कही  न कही  समाज में भी  कमी है जो इस तरह की घटनाये हो रही है .. जब हम लडकियों पे कई तरह के बंधन लगाते है , लडको पे नहीं तब प्रॉब्लम सामने आती है .. ये इन्सान  का प्राकृतिक  स्वाभाव है जो जिंतना छुपाने की चेष्टा करता है सामने वाला उस पर उतना ही ध्यान लगता है .. अगर हम दोनों को ही बराबर का स्थान दे तो भी समस्या सुधर सकती है , यहाँ इस बात पे भीध्यान आकर्षित करना चाहूँगा की सिर्फ लडको को ही दोषी नहीं ठहराया जा सकता कई  बार लड़की की भी गलती सामने आती है पर उस पर कोई ध्यान नहीं देता  और  उन्हें बल मिलता है की जो कुछ भी हुआ आखिर फसेगा तो लड़का ही ..इसे रोकने की जरुरत है ..

ये कुछ तथ्य थे जिन पर मैंने आप सभी का ध्यान आकर्षित किया अब आपको सोचने की जरुरत है की कौन दोषी है , सिर्फ बलात्कारी या कोई और भी.... 

                   जय हिन्द ..

बुधवार, 17 अप्रैल 2013

जिंदगी ..

पल में तोला,
पल में माशा है ये जिंदगी ..

कभी डूबती नाव सी,
कभी छोटी सी आशा है जिंदगी ...

कभी गम है , कभी है तन्हाई .,
किसी के मन का दिलाशा है ये जिंदगी ...

पल में तोला, पल में माशा है ये जिंदगी ..

एक फूल की छुअन ,
 काटें की चुभन .
उगता हुआ सूरज,
बड़ता हुआ अँधेरा .
काली सी रात ,खिलता  सवेरा ..

चुभते हुए लफ्ज , प्रेम की भाषा है जिंदगी....

पल में तोला, पल में माशा है ये जिंदगी ..

रंगों को समेटे , रंगों को बिखेरे ..
सपनो के समुन्दर, चाहतो के मेले .
न जाने क्या है, समाये है खुद में ..
खुद को पाने की एक आशा है जिंदगी ...

पल में तोला, पल में माशा है ये जिंदगी ..

                          "  अमन मिश्र "

शुक्रवार, 12 अप्रैल 2013

खोज

इस बिखरे हुए  मंजर में,
बहारों को खोजता  हु ..

दिख जाये कही इंसान,
 उस नज़ारे को खोजता हु .

मै एक राही हूँ  ,
निकला हूँ सफ़र पे ...
जो था मेरा ,
उस सहारे को खोजता हु ..

चला रहा हु कश्ती ,
इस लहरों भरे पानी में ,

मिल  जाये कही ठिकाना,
 मै उस किनारे को खोजता हु ...

अकेला हु ,
तनहा हु .
 देखता हु आसमाँ   में  ..
बदलो में  छिपे  उस चाँद को खोजता हु ..

मंगलवार, 2 अप्रैल 2013

ये एक काम कर चले हम...

ये  एक काम कर चले हम...
न हो सके तुझपे फ़िदा ,
न बन सके तेरी जुबान ,
कोई बात नहीं ...

चल तेरे साथ ही सफ़र कर चले हम....
ये  एक काम कर चले हम...

बनाने की ख्वाइश थी तेरी मुस्कान ;
मुस्कानों की वजह ,
 न बन सके कोई बात नहीं ..

चल तेरे गमो की दावा बन चले हम ...
बस  एक काम कर चले हम...

चाहा था तुझे पाने के लिए ,
तू न मिली कोई बात नहीं ,

 तेरी चाहत को तुझसे मिलाते है हम ..
ये एक काम कर चले हम ...

दूर है तू मुझसे हकीकत यही है ,
कोई बात नहीं ,

तेरे ख्वाबो में ही अपना घर बनाते है हम ..
चल एक काम कर चले हम ....
ये  एक काम कर चले हम...

                                         "aman mishra"

रातों रात पेड़ काट दिए, जंगल जला दिए। हम सोए रहे, नदिया सूखा दिए। वो चिड़िया अब रोती है, घोसले गवा दिए, कुछ आंखो में पानी लाओ, जो बोतल...