रविवार, 31 मार्च 2013

हम तो आ गए बाजार में

हम तो आ गए बाजार में भैया कोई कीमत लगा ले...

आदर्शो की पूंजी की कीमत बस मिल जाये मुझे ,
आये है तो बाजार में थोडा नाम कमा ले ,

हम तो आ गए बाजार में भैया कोई कीमत लगा ले...

मिल जाये मुझे तालिया लोगो की वाहवाही ...
आओ इस बाजार में ऐसा दाव लगा ले .....

हम तो आ गए बाजार में भैया कोई कीमत लगा ले...

मोल हो इज्जत का कोई , वो हम भी चुका दे ..
होता हो कोई प्रश्न तो उत्तर हम भी बता दे .....

हम तो आ गए बाजार में भैया कोई कीमत लगा ले...

मन तो बहुत करता है पर आत्मा नहीं बिकती ..
डरती है इस भीड़ से ,बाजार में नहीं टिकती ..

न बेच पाए आत्मा को ,चलो कोई बात नहीं है ...
इस आत्मा की वैसे भी कीमत नहीं है मिलती ...
खड़े है बाजार के चौराहे में बिकने को ...
बस कोई आके कोई "अमन " तेरी एक कीमत लगा ले .......................

मंगलवार, 26 मार्च 2013

थोडा रंग मै भर दू...

आजा पास तो कुछ रंग मै भर दू ..
कुछ हल्के,गहरे, चमकीले से ख्वाबो के रंग ..

लगा जो हल्का सा गुलाल तेरे गालो पे ,
तेरे चहरे के रंग और भी खिल जायेंगे ...
दुरिया मिटेंगी इसी बहाने , तेरे मेरे मन की ,
ये रंगीन पल ,रंगों से और सवर जायेंगे ..

तो आजा पास थोडा रंग मै भर दू ... थोडा रंग मै भर दू...

लो आ गयी होली

होली : जितना गंभीर नाम है ना बता नहीं सकता , हर जगह सलाह बोरो में भर भर के मिल रही है , फला फला रंग से न खेला जाये, पानी की बर्बादी न की जाये , और न जाने क्या क्या ....

 पर आज का लेख मै ऐसी सलाहों को न समर्पित करके कुछ दूसरी बातो को समर्पित करूँगा जिनपे हमारी नजर नहीं जाती , बड़े बड़े साइंटिस्ट अपनी नजर नहीं लगा पाते ऐसी बातो पे , पूछो तो उत्तर एक ही भाई पगला दिए हो क्या ? सामने बोर्ड में लिखा पड़  लो वर्क इन प्रोग्रेस ....  हा तो कैसी बाते ,
बातो को कहने से पहले बता दू , लेख देवरो और भाभियों पे किये गए विभिन्न शोध पे आधारित है ...

तो सुरुवात तो हमें खुद से ही करनी होगी
, कल से शोध कर रहे है कि कोउन सी भाभी को रंग लगा आये , अरे भाई होली का त्यौहार है ,
और भाभी भी रगने के लिए तैयार तो फिर रंग कहे न दे ..

चलिए आंगे बढ़ाते है अपनी बात को, खुद की टांग खीचने में जो मजा है कही नहीं...

 हा तो मै बात कर रहा हु देवर जी की , हमारे जानकर देवर है एक नाम न लूँगा नहीं तो आप जानते है आज कल जमाना ख़राब है , तो ये लेख विशेष उनके कर्मो पे आधारित है .....
 जिस प्रकार भगवन कृष्णा ने कहा "  कर्मण्ये वाधिकारस्ते माँ फलेषु कदाचिन" भाई साहब इसकी मिसाल दे दे के साल भर से परेशां थे... कल ही आये बोले यार कुछ सुझाव भाभी को कैसे रंग जाये ...हर साल वही स्टाइल रंग दो फिर कम ख़त्म कुछ नया बताओ की रंग न उतरे साल भर ...और हमरे इस महान कर्म को भाभी न भूले साल भर
...

अब हमने भी कहा ऐसा करे नेरोलक का पेंट कर दो भाभी पे , साल भर न भूलेंगी तुम्हारा ये कर्म ... और अगली होली पे जो गुझिया उनके घर पे जा जा के तुम आनंद से खा लेते हो , देख लेना उनकी मात्र दोगुनी हो जाएगी ...की आखिर देवर जी ने महान काम  जो किया है , प्यार देखना उनका ...

अब बात तो मजाक में कही थी ,पर भाभी समर्पित देवर जी ने तो दिल से लगा ली ,
  देखिये कैसे मनती है उनकी होली .... और आप सब से भी इस मजाक और छिछोरे पोस्ट  के लिए दिल से सॉरी ... आखिर बुरा न  मनो होली है .........  


  होली की हार्दिक बधाई .....

शनिवार, 16 मार्च 2013

हे नाथ अब पीड़ा भारी,

हे नाथ अब
पीड़ा भारी,
रही पुकार
 दीन दुखियारी ...

देखन को
तडपे है अखीयाँ ,
छुवन को तडपे ये हाथ ..
नाथ कहाँ  हो ,दुःख हरो अब  ..
बीते न ये  काली रात ....

कब आओगे ,
धीर धरा सी ,
नहीं धीरता मुझमे ..
एक नदिया
 सी आशा है ,
 बस मिल
जाना है तुझमे ...

यही सोच अब ,
प्राण टिके है .
आओगे
हे  मेरे नाथ ...
ह्रदय धड़कता
 है बस मेरा ,
पाने को बस
तेरा साथ .............

ह्रदय धड़कता है बस मेरा ,
पाने को अब तेरा साथ .............





नोट चित्र गूगल से साभार

मंगलवार, 12 मार्च 2013

हे रघुकुल के , दीपक अद्वतीत

हे प्राणनाथ ,
मेरे मन के मीत ....
हे रघुकुल के ,
दीपक अद्वतीत....

देह मै,
तुम आत्मा ...
योग मै ,
तुम शाधना........

ताप हू ,
शीतल करो ,
माटी हु ,
चन्दन करो ....

हु आज मै पुकारती ,
आ जाओ तुम ,हे राम जी ..
अब मन है ये पुकारता ,
विपदा हरो हे नाथ जी ...
विपदा हरो हे नाथ जी ..........



हे जानकी ,
मै साथ हु ...
मन में हु ,
 विश्वास हू....



प्राण मेरे
तुमसे है ,
तुम ही हो
जीवन मेरा ..

चन्दन बनेगा
क्या कोई ,
जब तक न हो ये
भू धरा ..

जब तक न हो ये
भू धरा ..

मेरे जीवन
का आधार तुम ,
सूर्य मै ,
प्रकाश तुम ...

अब और न ,
होगा समय ,
आऊंगा मै
करने विजय ..

आऊंगा मै
करने विजय ..

रातों रात पेड़ काट दिए, जंगल जला दिए। हम सोए रहे, नदिया सूखा दिए। वो चिड़िया अब रोती है, घोसले गवा दिए, कुछ आंखो में पानी लाओ, जो बोतल...