मंगलवार, 12 मार्च 2013

हे रघुकुल के , दीपक अद्वतीत

हे प्राणनाथ ,
मेरे मन के मीत ....
हे रघुकुल के ,
दीपक अद्वतीत....

देह मै,
तुम आत्मा ...
योग मै ,
तुम शाधना........

ताप हू ,
शीतल करो ,
माटी हु ,
चन्दन करो ....

हु आज मै पुकारती ,
आ जाओ तुम ,हे राम जी ..
अब मन है ये पुकारता ,
विपदा हरो हे नाथ जी ...
विपदा हरो हे नाथ जी ..........



हे जानकी ,
मै साथ हु ...
मन में हु ,
 विश्वास हू....



प्राण मेरे
तुमसे है ,
तुम ही हो
जीवन मेरा ..

चन्दन बनेगा
क्या कोई ,
जब तक न हो ये
भू धरा ..

जब तक न हो ये
भू धरा ..

मेरे जीवन
का आधार तुम ,
सूर्य मै ,
प्रकाश तुम ...

अब और न ,
होगा समय ,
आऊंगा मै
करने विजय ..

आऊंगा मै
करने विजय ..

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