हे प्राणनाथ ,
मेरे मन के मीत ....
हे रघुकुल के ,
दीपक अद्वतीत....
देह मै,
तुम आत्मा ...
योग मै ,
तुम शाधना........
ताप हू ,
शीतल करो ,
माटी हु ,
चन्दन करो ....
हु आज मै पुकारती ,
आ जाओ तुम ,हे राम जी ..
अब मन है ये पुकारता ,
विपदा हरो हे नाथ जी ...
विपदा हरो हे नाथ जी ..........
हे जानकी ,
मै साथ हु ...
मन में हु ,
विश्वास हू....
प्राण मेरे
तुमसे है ,
तुम ही हो
जीवन मेरा ..
चन्दन बनेगा
क्या कोई ,
जब तक न हो ये
भू धरा ..
जब तक न हो ये
भू धरा ..
मेरे जीवन
का आधार तुम ,
सूर्य मै ,
प्रकाश तुम ...
अब और न ,
होगा समय ,
आऊंगा मै
करने विजय ..
आऊंगा मै
करने विजय ..
मेरे मन के मीत ....
हे रघुकुल के ,
दीपक अद्वतीत....
देह मै,
तुम आत्मा ...
योग मै ,
तुम शाधना........
ताप हू ,
शीतल करो ,
माटी हु ,
चन्दन करो ....
हु आज मै पुकारती ,
आ जाओ तुम ,हे राम जी ..
अब मन है ये पुकारता ,
विपदा हरो हे नाथ जी ...
विपदा हरो हे नाथ जी ..........
हे जानकी ,
मै साथ हु ...
मन में हु ,
विश्वास हू....
प्राण मेरे
तुमसे है ,
तुम ही हो
जीवन मेरा ..
चन्दन बनेगा
क्या कोई ,
जब तक न हो ये
भू धरा ..
जब तक न हो ये
भू धरा ..
मेरे जीवन
का आधार तुम ,
सूर्य मै ,
प्रकाश तुम ...
अब और न ,
होगा समय ,
आऊंगा मै
करने विजय ..
आऊंगा मै
करने विजय ..
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