हे नाथ अब
पीड़ा भारी,
रही पुकार
दीन दुखियारी ...
देखन को
तडपे है अखीयाँ ,
छुवन को तडपे ये हाथ ..
नाथ कहाँ हो ,दुःख हरो अब ..
बीते न ये काली रात ....
कब आओगे ,
धीर धरा सी ,
नहीं धीरता मुझमे ..
एक नदिया
सी आशा है ,
बस मिल
जाना है तुझमे ...
यही सोच अब ,
प्राण टिके है .
आओगे
हे मेरे नाथ ...
ह्रदय धड़कता
है बस मेरा ,
पाने को बस
तेरा साथ .............
ह्रदय धड़कता है बस मेरा ,
पाने को अब तेरा साथ .............
नोट चित्र गूगल से साभार
प्रेमबिंदु यानि प्रेम का केंद्र बिंदु. ये ब्लॉग मेरे द्वारा कल्पित रचनाओ का नहीं अपितु मेरे ही जीवन के पलों का लिखित रूप है. प्रेमबिंदु उर्जा का एक असीम केंद्र है , और मेरे द्वारा प्रेम को समझने और उसे आपतक पहुचाने का एक माध्यम है.
शनिवार, 16 मार्च 2013
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