मंगलवार, 26 मार्च 2013

लो आ गयी होली

होली : जितना गंभीर नाम है ना बता नहीं सकता , हर जगह सलाह बोरो में भर भर के मिल रही है , फला फला रंग से न खेला जाये, पानी की बर्बादी न की जाये , और न जाने क्या क्या ....

 पर आज का लेख मै ऐसी सलाहों को न समर्पित करके कुछ दूसरी बातो को समर्पित करूँगा जिनपे हमारी नजर नहीं जाती , बड़े बड़े साइंटिस्ट अपनी नजर नहीं लगा पाते ऐसी बातो पे , पूछो तो उत्तर एक ही भाई पगला दिए हो क्या ? सामने बोर्ड में लिखा पड़  लो वर्क इन प्रोग्रेस ....  हा तो कैसी बाते ,
बातो को कहने से पहले बता दू , लेख देवरो और भाभियों पे किये गए विभिन्न शोध पे आधारित है ...

तो सुरुवात तो हमें खुद से ही करनी होगी
, कल से शोध कर रहे है कि कोउन सी भाभी को रंग लगा आये , अरे भाई होली का त्यौहार है ,
और भाभी भी रगने के लिए तैयार तो फिर रंग कहे न दे ..

चलिए आंगे बढ़ाते है अपनी बात को, खुद की टांग खीचने में जो मजा है कही नहीं...

 हा तो मै बात कर रहा हु देवर जी की , हमारे जानकर देवर है एक नाम न लूँगा नहीं तो आप जानते है आज कल जमाना ख़राब है , तो ये लेख विशेष उनके कर्मो पे आधारित है .....
 जिस प्रकार भगवन कृष्णा ने कहा "  कर्मण्ये वाधिकारस्ते माँ फलेषु कदाचिन" भाई साहब इसकी मिसाल दे दे के साल भर से परेशां थे... कल ही आये बोले यार कुछ सुझाव भाभी को कैसे रंग जाये ...हर साल वही स्टाइल रंग दो फिर कम ख़त्म कुछ नया बताओ की रंग न उतरे साल भर ...और हमरे इस महान कर्म को भाभी न भूले साल भर
...

अब हमने भी कहा ऐसा करे नेरोलक का पेंट कर दो भाभी पे , साल भर न भूलेंगी तुम्हारा ये कर्म ... और अगली होली पे जो गुझिया उनके घर पे जा जा के तुम आनंद से खा लेते हो , देख लेना उनकी मात्र दोगुनी हो जाएगी ...की आखिर देवर जी ने महान काम  जो किया है , प्यार देखना उनका ...

अब बात तो मजाक में कही थी ,पर भाभी समर्पित देवर जी ने तो दिल से लगा ली ,
  देखिये कैसे मनती है उनकी होली .... और आप सब से भी इस मजाक और छिछोरे पोस्ट  के लिए दिल से सॉरी ... आखिर बुरा न  मनो होली है .........  


  होली की हार्दिक बधाई .....

3 टिप्‍पणियां:

रातों रात पेड़ काट दिए, जंगल जला दिए। हम सोए रहे, नदिया सूखा दिए। वो चिड़िया अब रोती है, घोसले गवा दिए, कुछ आंखो में पानी लाओ, जो बोतल...