तुम ही थी मेरे सपनो में ,
जिन्दगी में बस तुम्हारी ही चाहत थी .
पर तुम अब साथ साथ भी नहीं,
सपनो से दूर ,
एक झलक को तरसाती।
क्या करू मैं , देखू सपने तुम्हारे ,
या बढ चलूँ जिंदगी में आंगे ..
शायद अगले मोड़ पे मिल जाओ तुम जिंदगी के ,
फैलाये हुए बाहें अपनी ,करती मेरा ही इन्तेजार ..
पर अभी तो तुम नहीं हो ,
न झलक भी है तुम्हारी ...........
चलो मैं आंगे बढता हु ,
बस उम्मीद लिए।
चलो मैं आंगे बढता हु बस ,तुम्हारे लिए।
तुम फिर मिलोगी ना?
"अमन मिश्र "
जिन्दगी में बस तुम्हारी ही चाहत थी .
पर तुम अब साथ साथ भी नहीं,
सपनो से दूर ,
एक झलक को तरसाती।
क्या करू मैं , देखू सपने तुम्हारे ,
या बढ चलूँ जिंदगी में आंगे ..
शायद अगले मोड़ पे मिल जाओ तुम जिंदगी के ,
फैलाये हुए बाहें अपनी ,करती मेरा ही इन्तेजार ..
पर अभी तो तुम नहीं हो ,
न झलक भी है तुम्हारी ...........
चलो मैं आंगे बढता हु ,
बस उम्मीद लिए।
चलो मैं आंगे बढता हु बस ,तुम्हारे लिए।
तुम फिर मिलोगी ना?
"अमन मिश्र "