आज यूहिं थोड़ी देर के लिए हम मित्रो में आपसी बात हुई और एक मित्र ने
मुझसे कहा की वैसे आप लिखते बहुत अच्छा है पर मुझे आपके लेखन में
एक बात मुझे बहुत खटकती है की आप सिर्फ प्रेम या सौन्दर्य सम्बन्धी कविताये
या लेख ही लिखते है, आज जबकि इस देश में में कई प्रकार के घोटाले ,
समस्याए आदि मौजूद है फिर भी आज तक आपने उनके बारे में कुछ नहीं कहा . मेरे
मन में भी इसका एक बढ़िया उत्तर आया की और इसे मै आपके साथ बताना चाहूँगा
की देश की समस्याओ पर ध्यान केंद्रित करना एक बढ़िया कर्म है परन्तु किसी भी
चीज की सार्थकता तभी तक ही होती है जब तक की वो अक निर्धारित सीमा के भीतर
रहे, उसी प्रकार आज के सन्दर्भ में जब सभी लोग उस समस्या के निदान खोजने
में जुटे है , मै तो उन्हें अपने लेखों से बस उर्जा प्रदान कर रहा हु .
आखिर क्रांति का प्रथम चरण प्रेम से ही सुरु होता है, जो प्रेम नहीं कर
सकता वो क्रांति भी नही कर सकता है ,ऐसा मेरा मानना है . और आशा है की आप
भी मेरे मत से सहमत होंगे।
प्रेमबिंदु यानि प्रेम का केंद्र बिंदु. ये ब्लॉग मेरे द्वारा कल्पित रचनाओ का नहीं अपितु मेरे ही जीवन के पलों का लिखित रूप है. प्रेमबिंदु उर्जा का एक असीम केंद्र है , और मेरे द्वारा प्रेम को समझने और उसे आपतक पहुचाने का एक माध्यम है.
शनिवार, 20 अक्तूबर 2012
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
रातों रात पेड़ काट दिए, जंगल जला दिए। हम सोए रहे, नदिया सूखा दिए। वो चिड़िया अब रोती है, घोसले गवा दिए, कुछ आंखो में पानी लाओ, जो बोतल...
-
कुछ तो जगह बनाई होगी , रूठना तेरा ,वो मेरा मनाना। कभी तो इसकी भी याद आई होगी। कुछ तो जगह बनाई होगी...... साथ चलना वो हसना हसाना ,...
-
आइये नजर डालते है , एक नजर खुद पर । रास्तो में चलते हुए ,जो रास्ते बीत गए , उन पर, आइये नजर डालते हैं। सीख जो मिली और यादें जो बनी, द...
-
इस गंग प्रेम की प्रखर धार में , बह जाता ये चेतन मन ... होती है पीड़ा कष्ट बहुत , पर मिलता है अदभुत आनंद .. प्रेम के कारन जग है जीवित...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें