आहा लो भाई इस वर्ष भी होली का खुमार चढ़ा हुआ है सब पे।
पिछले वर्ष मैंने दोस्त के द्वारा भाभी के रंग लगाने कि जद्दो जहद का वर्णन था और उसके प्यारे परिणाम भी आपको याद ही होंगे पर इस बार कि समस्या अति विकट है , खुमार वुमार तो अपनी जगह है पर समस्या आ गयी है गोपिकाओं को।कि कैसे कन्हैया के साथ रंग भी खेले और गोकुल वाले जान भी न पाये।
अरे भाई ये है २०१४ ,और अब कन्हैया उर्फ़ लड़काऊ भैया के अपने काम कम है कि रंग लगाने कि मेहनत में दिमाग ख़राब करे। फिर नए मर्ज भी कि रंग अगर केमिकल वाला तो ना ना , नेचुरल वाला महंगाई में महंगा है तो क्यों जेब पे बोझ डाला जाये।
खैर लड़काऊ भैया तो इसी कारण शांत है पर दिक्कत तो हो गयी उनके विरह कि मारी गोपी जी को ,अब यही तो ऐसा त्यौहार कि आये भी और पता न चला और चला भी तो बुरा न मानो होली है।
तो भाई ये समस्या आ गयी हमारे पास कि क्या करे कैसे मनाये अपने भोले भाले लड़काऊ भैया को कि थोडा सा बालम पिचकारी वाला नाच ही हो जाये उनके साथ। हमने भी आश्वासन दे दिया कि तोहे पिया मिलेंगे।
हर मर्ज कि दवा है अपने पास आखिर प्रेम रस के कवि जो ठहरे। और फिर अपने पिटारे से निकला एक नया अजूबा व्हाट्सप्प का। अरे ये नया एक्सपेरिमेंट कि कहो सामने बैठे हो और बाते न हो और जब गए घर तो बोले कैसे हो जनाब ?ये ऐसा कारनामा कि बड़े बड़े यार (जो कहो आपको गरियाते ही रहते हो। ) भी जो कहो कुछ देर पहले आपके साथ हो व्हाट्सप्प पर हाय बाय करने के बीच में कैसे हो पूछ लेते है ,सकून मिलता है
कि चलो कुछ तो पूछा ,खैर ये अजूबा गोपी जी के पास आते ही स्टाइल बदल गयी भाई ,बोली थैंक यू ,नाउ आई वाना यूज़ व्हाट्सप्प। नाउ होली विल सेलिब्रेट इन मॉडर्न स्टाइल।
खैर सुना है कि उसका बड़ा अच्छा उपयोग हो रहा है , तो गोपी जी कि तो होली हमने रंगीन कर दी। अब आप को भी होली कि हार्दिक शुभ
कामनाये।
" बदल गया जमाना ,अब रंग भी मैसेज से आता है।
कोई नहीं है साथ मगर ,टीवी हैप्पी होली गाता है।
पिचकारी में रंग तो है ,नहीं मगर वो प्यारे लोग।
त्योहारो में भी तन्हाई है ,कैसा है ये अजब संजोग। "
पर उम्मीद है मुझे
" कहीं
मीरा भी खेलती होगी रंग ,
कान्हा के उत्सव में।
होगी जिन्दा आज भी शायद मानवता मनुष्यो में।"
जय हिन्द " अमन मिश्रा"
# कृपया गम्भीरता को अपने मन में न आने दे। होली में बुरा न मानो।
नोट : चित्र गूगल से साभार
पिछले वर्ष मैंने दोस्त के द्वारा भाभी के रंग लगाने कि जद्दो जहद का वर्णन था और उसके प्यारे परिणाम भी आपको याद ही होंगे पर इस बार कि समस्या अति विकट है , खुमार वुमार तो अपनी जगह है पर समस्या आ गयी है गोपिकाओं को।कि कैसे कन्हैया के साथ रंग भी खेले और गोकुल वाले जान भी न पाये।
अरे भाई ये है २०१४ ,और अब कन्हैया उर्फ़ लड़काऊ भैया के अपने काम कम है कि रंग लगाने कि मेहनत में दिमाग ख़राब करे। फिर नए मर्ज भी कि रंग अगर केमिकल वाला तो ना ना , नेचुरल वाला महंगाई में महंगा है तो क्यों जेब पे बोझ डाला जाये।
खैर लड़काऊ भैया तो इसी कारण शांत है पर दिक्कत तो हो गयी उनके विरह कि मारी गोपी जी को ,अब यही तो ऐसा त्यौहार कि आये भी और पता न चला और चला भी तो बुरा न मानो होली है।
तो भाई ये समस्या आ गयी हमारे पास कि क्या करे कैसे मनाये अपने भोले भाले लड़काऊ भैया को कि थोडा सा बालम पिचकारी वाला नाच ही हो जाये उनके साथ। हमने भी आश्वासन दे दिया कि तोहे पिया मिलेंगे।
हर मर्ज कि दवा है अपने पास आखिर प्रेम रस के कवि जो ठहरे। और फिर अपने पिटारे से निकला एक नया अजूबा व्हाट्सप्प का। अरे ये नया एक्सपेरिमेंट कि कहो सामने बैठे हो और बाते न हो और जब गए घर तो बोले कैसे हो जनाब ?ये ऐसा कारनामा कि बड़े बड़े यार (जो कहो आपको गरियाते ही रहते हो। ) भी जो कहो कुछ देर पहले आपके साथ हो व्हाट्सप्प पर हाय बाय करने के बीच में कैसे हो पूछ लेते है ,सकून मिलता है
कि चलो कुछ तो पूछा ,खैर ये अजूबा गोपी जी के पास आते ही स्टाइल बदल गयी भाई ,बोली थैंक यू ,नाउ आई वाना यूज़ व्हाट्सप्प। नाउ होली विल सेलिब्रेट इन मॉडर्न स्टाइल।
खैर सुना है कि उसका बड़ा अच्छा उपयोग हो रहा है , तो गोपी जी कि तो होली हमने रंगीन कर दी। अब आप को भी होली कि हार्दिक शुभ
कामनाये।
" बदल गया जमाना ,अब रंग भी मैसेज से आता है।
कोई नहीं है साथ मगर ,टीवी हैप्पी होली गाता है।
पिचकारी में रंग तो है ,नहीं मगर वो प्यारे लोग।
त्योहारो में भी तन्हाई है ,कैसा है ये अजब संजोग। "
पर उम्मीद है मुझे
" कहीं
मीरा भी खेलती होगी रंग ,
कान्हा के उत्सव में।
होगी जिन्दा आज भी शायद मानवता मनुष्यो में।"
जय हिन्द " अमन मिश्रा"
# कृपया गम्भीरता को अपने मन में न आने दे। होली में बुरा न मानो।
नोट : चित्र गूगल से साभार
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