झूठ न भी कहूँ तो एक झूठ कह जाता हूं,
तुझ जैसे है कई, जब तुझको मैं बताता हूँ।
फासले रखने के फैसले तो लिए मैंने बहुत,
देखता हूँ जो तुझको मैं खुद को भूल जाता हूँ।
अच्छा बुरा सोचना तो फितरत है उनकी,
मैं कहाँ इतना अमन सोच पाता हूँ ।
फिदा हों गए इस दरिया में कई यार दुनिया के,
बचूँगा मैं कब तक ये खुद को मैं बताता हूँ।
अमन मिश्र।
तुझ जैसे है कई, जब तुझको मैं बताता हूँ।
फासले रखने के फैसले तो लिए मैंने बहुत,
देखता हूँ जो तुझको मैं खुद को भूल जाता हूँ।
अच्छा बुरा सोचना तो फितरत है उनकी,
मैं कहाँ इतना अमन सोच पाता हूँ ।
फिदा हों गए इस दरिया में कई यार दुनिया के,
बचूँगा मैं कब तक ये खुद को मैं बताता हूँ।
अमन मिश्र।
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