ये कविता मेरे द्वारा मेरे प्रेम को समर्पित .......
आँखे है पथराई सी ,
एक टक नजर लगाये ,
लौट के आजा तू ,
कोई इंतजार करता है .
भूख प्यास सब तज कर ,
मन में अलख जगाये ,
लौट के आजा तू ,
कोई इंतजार करता है .
सीता के करुण रुदन की ,
शबरी के चित दर्शन की ,
कठिन तपस्या मीरा की ,
इन सब की याद दिलाये ,
लौट के आजा तू ,
कोई इंतजार करता है .
अब एक पल न देर करो ,
ये धैर्य के पर्वत टूट रहे ,
आँखों से अश्रु निकलते है ,
और झरने से है फूट रहे .
तुझको पाने की आस लगाये ,
कोई इंतजार करता है .
लौट के आजा ,कोई ....
लौट के आजा तू ,
कोई इंतजार करता है .
" अमन मिश्र "
note: चित्र गूगल से साभार
प्रेमबिंदु यानि प्रेम का केंद्र बिंदु. ये ब्लॉग मेरे द्वारा कल्पित रचनाओ का नहीं अपितु मेरे ही जीवन के पलों का लिखित रूप है. प्रेमबिंदु उर्जा का एक असीम केंद्र है , और मेरे द्वारा प्रेम को समझने और उसे आपतक पहुचाने का एक माध्यम है.
मंगलवार, 18 दिसंबर 2012
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