शुक्रवार, 28 दिसंबर 2012

जा रहे हो तो सुन लो ,क्या ये सब भूल जाओगे ...

जा रहे हो तो सुन लो ,क्या ये सब भूल जाओगे ...
मुह फेर भी लो अपना , पर मुझको  ही पाओगे ..

तेरी नियत पे मै शक  करू ,इसका सवाल ही नहीं उठता ....
मेरी नियत को तुम  किस पैमाने में तोल के लाओगे..........

देख लेना हर बात को वो खुदा भी देखता है,
बाचोगे  मुझसे,पर उससे कैसे छुपाओगे .

आज नहीं तो कल कोई बात तो होगी ,
दिन निकला है तो पक्का रात तो होगी ..

कहना पड़ेगा हर वो जो लब्ज छुपाया है ,
इन प्यारी प्यारी आँखों से बरसात तो होगी ........

 मै ये नहीं कहता  की मै तेरी हर गम की दावा हु.
पर साथ में अपना गम  कुछ बाट तो पाओगे .....

मुह फेर भी लो अपना , पर मुझे ही पाओगे ..

 देखना कोई आसू मोती न बन पड़े ,
जो अपनी वफ़ा तुम इस तरह निभाओगे ..........

होंगे कई रिश्ते जो तुमको निभाने होंगे ,
ये बेनाम सा रिश्ता क्या तुम भूल जाओगे ?

मुह फेर भी लो अपना , पर मुझको  ही पाओगे ..
मुह फेर भी लो अपना , पर मुझे ही पाओगे ..

जा रहे हो तो सुन लो ,क्या ये सब भूल जाओगे ...
                      
                                                                   " अमन मिश्र "

चित्र :गूगल से साभार

2 टिप्‍पणियां:


  1. होंगे कई रिश्ते जो तुमको निभाने होंगे ,
    ये बेनाम सा रिश्ता क्या तुम भूल जाओगे ?

    AMAN SAHAB, BEHTREEN RACHNA...

    जवाब देंहटाएं

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