रविवार, 24 फ़रवरी 2013

एक लम्हा , एक पल

एक लम्हा ,
एक पल जी ,
लेने दो  मुझे ......
बिन बंधन के बिन
एक कल
जी लेने दो मुझे ..


दे दो मुझे
 मेरी जिंदगी का ,
एक छोटा सा टुकड़ा ,
 टूटे हुए कांच सा ,
एक रोटी का टुकड़ा

बिना रोये एक निवाला
ले लेने दो मुझे।

एक लम्हा ,एक पल जी .......

 मत  छीनो मुझसे
मेरे ख्वाबो के दो पर ,

इस आस्मा में
एक बार
उड़ लेने दो मुझे .
एक लम्हा ,
एक पल
 जी लेने दो  मुझे ....

रिश्ते कई मैंने
बनाये इस जहाँ में ,
कुछ  टूटे हुए रिश्तो
को  अब सी लेने दो मुझे .

एक लम्हा ,
एक पल
 जी लेने दो  मुझे ,

 करे मैंने कई समझोते
 इस दुनिया के खातिर ,

खुद के लिए एक पग
चल लेने  दो मुझे।

 एक लम्हा ,एक पल ........

इस  भीड़ भाड़ की
दुनिया में शोर बहुत है ,
फुर्सत के दो पल
जी लेने दो मुझे  ..

एक लम्हा ,
एक पल
 जी लेने दो  मुझे ,


चला "अमन " तेरी हर बात पे ऐ
मेरे मालिक .
एक छोटी सी भूल
कर लेने दो मुझे .
एक लम्हा ,
एक पल
 जी लेने दो  मुझे ,

                                   "  अमन मिश्र "



नोट :  चित्र गूगल से साभार ..

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